What is computer and Types of Computer in hindi के बारे में आज सिखने वाले है। आपने अपने जीवन मे कंप्यूटर का इस्तेमाल किया ही होगा। और शायद कंप्यूटर चलाने के बारे अच्छी जानकारी भी होगी। लेकिन क्या आपको कंप्यूटर के फुल्फॉर्म, कंप्यूटर के टाइप और कंप्यूटर की अलग अलग generation की जानकारी है?
अगर नहीं पता तो यह पोस्ट ज़रूर पढ़ें।
COMPUTER क्या है? (TYPES OF COMPUTER IN HINDI)
कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जो कि यूजर द्वारा इनपुट किये गए डाटा/ निर्देशों को प्रोसेस करके उसका रिजल्ट आउटपुट के रूप में देता है।
Computer शब्द की उत्पत्ति ‘Compute’ शब्द से हुई है जिसका मतलब है ‘गणना करना’। लेकिन यह इतने में ही सीमित न होकर आज हमारे किसी भी तरह के डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक कामों काम आता है। जिससे इसका हर क्षेत्र में इस्तेमाल किया जाता है। जैसे की:-
- इंटरनेट
- साइंस एंड टेक्नोलॉजी
- डिफेंस
- एजुकेशन
- एंटरटेनमेंट
- बिज़नेस
- गवर्मेन्ट एंड प्राइवेट सेक्टर
इन्ही के साथ लगभग सभी फ़ील्ड्स में कंप्यूटर का इस्तेमाल हो रहा हैं। अपनी processing Speed, हाई स्टोरेज कैपेसिटी, स्वचालन(Automation), Accuracy, विश्वसनीयता(Reliability) और सार्वभौमिकता(Versatility) के कारण आज यह इंसान के जीवन का हिस्सा बन चुका है।
Computer का फुलफॉर्म क्या है?
Computer का full form है।
C – Commonly
O – Operated
M – Machine
P – Particularly
U – Used for
T – Technical and
E – Educational
R – Research
कंप्यूटर कितने प्रकार का होता है? (TYPES OF COMPUTER IN HIDNI)
कंप्यूटर कई तरह के होते हैं जिन्हें आकार और क्षमता(Capacity) के आधार पर 4 कैटेगिरी में बांटा जाता है।
मिनी कंप्यूटर –
मिनी computer, super computer और mainframe से छोटे, सस्ते और कम power के होते थे पर personal computer से बड़े और ज़्यादा पावर वाले होते थे। इनका इस्तेमाल scientific और engineering computations के काम में, business transaction प्रोसेसिंग और database management में किया जाता था।
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माइक्रो कंप्यूटर/पर्सनल कंप्यूटर –
Micro या personal computer में micro processor ही इसका सेंट्रल processing यूनिट (CPU) होता है। इसके अंदर CPU, Memory और कम से कम इन्पुट/आउटपुट devices एक single printed circuit board से जुड़ी होती है। रोज़ मर्रा के इस्तेमाल में यही पर्सनल कंप्यूटर आते है, ये आज आपको ज़्यादातर office और घरो में मिल जाएगे। कंप्यूटर क्या है और types of computer.
मेनफ़्रेम कंप्यूटर –
Mainframe computer बड़ी organization द्वारा इस्तेमाल किया जाता है। इसका काम बहुत ज़्यादा data को process करना होता है जैसे की censuses, industry और consumer की जानकारिया जमा करना होता है।
सुपर कंप्यूटर –
Supercomputer की performance दूसरे किसी भी तरह के computer से बहुत तेज़ होती है। supercomputer के अंदर हज़ारो processor लगे होते है जो एक second में करोड़ो calculations कर सकते है। What is MAC Address in computer.
पर्सनल कंप्यूटर भी 3 तरह के होते है।
- डेस्कटॉप
- लैपटॉप
- पॉमटॉप कंप्यूटर।
डेटा हैंडलिंग के आधार पर computer के 3 प्रकार है।
- एनालॉग कंप्यूटर
- डिजिटल कंप्यूटर
- हाइब्रिड कंप्यूटर
हाइब्रिड कंप्यूटर में एनालॉग व डिजिटल दोनों कम्प्यूटर के गुण होते हैं।
Computer के कितने भाग होते हैं? (TYPES OF COMPUTER)
Computer को 2 भागो में बांटा जाता है।
- Hardware
- Software
HARDWARE क्या होता है?
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कंप्यूटर के वे भाग जिन्हें हम देख या छू सकते हैं कंप्यूटर हार्डवेयर कहलाते हैं। जैसे- कीबोर्ड, माउस, प्रिंटर, मॉनिटर, सीपीयू, मदरबोर्ड, हार्ड डिस्क, रैम, रोम, स्पीकर, पेन ड्राइव, वेबकैम आदि।
कंप्यूटर हार्डवेयर की मदद से हम कंप्यूटर को चला पाते हैं। सॉफ्टवेयर, कंप्यूटर व हार्डवेयर के बीच तालमेल बिठाता है। अपने कंप्यूटर को troubleshoot करने के लिए इस लिंक पर जरुर क्लिक करे।
इन हार्डवेयर्स को हम दो भागों में बाँट सकते हैं।
- इंटरनल हार्डवेयर- इसमें वे हार्डवेयर्स आते हैं जो कि कम्यूटर के अंदर इस्तेमाल किये जाते हैं। जैसे- मदरबोर्ड, ग्राफिक कार्ड, सीडी राइटर, हार्ड डिस्क, रैम, रोम आदि।
- एक्सटर्नल हार्डवेयर- इसमें वे हार्डवेयर आते हैं जो कंप्यूटर से बाहर से जुड़े होते हैं। यह तीन तरह के होते हैं, इनपुट डिवाइस, आउटपुट डिवाइस, पेरिफेरल डिवाइस आदि। इसमें कीबोर्ड , माउस, प्रिंटर, लाइटपेन, स्पीकर, मॉनिटर,पेन ड्राइव, सीडी, मॉडेम आदि आते हैं।
Working के हिसाब से hardware devices को 4 भागो में बांटा जाता है।
- इनपुट डिवाइस- जिन डिवाइस के ज़रिए कंप्यूटर में डेटा इनपुट किया जाता है उसे इनपुट डिवाइस कहते हैं। जैसे- कीबोर्ड, माउस, जॉयस्टिक, लाइटपेन, स्कैनर आदि।
- आउटपुट डिवाइस- जिन डिवाइसों के ज़रिए कंप्यूटर से आउटपुट प्राप्त किया जाता है उसे आउटपुट डिवाइस कहते हैं। जैसे- मॉनिटर, प्रिंटर, प्लॉटर, स्पीकर आदि।
- प्रोसेसिंग डिवाइस- कंप्यूटर में जिस डिवाइस के ज़रिए डाटा को प्रोसेसिंग की जाती है उसे प्रोसेसिंग डिवाइस कहते हैं। जैसे- सीपीयू।
- स्टोरेज डिवाइस- कंप्यूटर के जिन डिवाइस में डाटा को स्टोर किया जाता है उसे स्टोरेज डिवाइस कहते हैं। इसके दो भाग होते है प्राइमरी स्टोरेज डिवाइस और सेकेंडरी स्टोरेज डिवाइस।
इसमें रैम एक प्राइमरी स्टोरेज डिवाइस है। जबकि फ्लॉपी डिस्क, सीडी, पेन ड्राइव आदि सेकेंडरी स्टोरेज डिवाइस है।
SOFTWARE क्या होता है?
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कंप्यूटर में डेटा, निर्देशों व प्रोग्राम के समूह को हम सॉफ्टवेयर कहते हैं। यह कंप्यूटर का वह हिस्सा होता है जिसे हम देख या छू नहीं सकते।
सरल भाषा मे कहें तो सॉफ्टवेयर, निर्देशों का वह समूह होता है जो कंप्यूटर को यह बताता है कि उसे क्या करना है।
एक कंप्यूटर विशेष सॉफ्टवेयर्स पर काम करता है और बिना सॉफ्टवेयर के कंप्यूटर बस एक बॉक्स की तरह है। एक तरह से यह कंप्यूटर के अंदर जान भर देता हैं। जिससे हम कंप्यूटर से आसानी से कम्युनिकेट कर पाते हैं औऱ इसका इस्तेमाल कर पाते हैं।
सॉफ्टवेयर को दो पार्ट्स में बाँटा जा सकता है।
1. सिस्टम सॉफ्टवेयर
यह कंप्यूटर सिस्टम का संचालन करता है। यह कंप्यूटर के सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के बीच तालमेल बिठाता है। जिससे यूजर किसी विशेष काम के लिए ऍप्लिकेशन सॉफ्टवेयर को चला सके। यूजर इसका डायरेक्ट इस्तेमाल नही कर सकते, यह कंप्यूटर के बैकग्राउंड में अपने आप चलता रहता है
और कंप्यूटर के बुनियादी कार्यों को संभालता है। ओपरेटिंग सिस्टम एक सिस्टम सॉफ्टवेयर का ही उदाहरणहै। जैसे- Windows, Linux, MAC, Ubuntu आदि।
2. एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर
यह एक प्रोग्राम होता है जो यूजर के द्वारा किसी विशेष काम के लिए डायरेक्ट इस्तेमाल किया है। सिस्टम सॉफ्टवेयर केवल इसे चलाने में सहायता प्रदान करता है। आपके कंप्यूटर स्क्रीन पर दिखने वाले आइकॉन, एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर ही हैं।
कंप्यूटर पर अलग अलग कार्य के लिए अलग अलग एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर होते हैं। यह तभी चलते हैं जब किसी काम के लिए हम इसका इस्तेमाल करते हैं।
कम्प्यूटर कैसे काम करता है? (HOW TO WORK COMPUTER IN HINDI)
कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है जो केवल मशीनी भाषा ( 0 व 1 ) को ही समझता है। कंप्यूटर एक ख़ास ऑपरेटिंग सिस्टम पर कार्य करता है जो कि इसी मशीनी भाषा मे बनाया गया होता है। यह ऑपरेटिंग सिस्टम सॉफ्टवेयर की ही तरह होता है जो कंप्यूटर को हमारी भाषा समझने में मदद करता है। औऱ हमें उसकी भाषा समझने में मदद करता है।
कंप्यूटर के काम करने का तरीका हम तीन स्टेप में समझ सकते हैं।
- इनपुट
- प्रोसेसिंग
- आउटपुट
जब हम इनपुट डिवाइस के ज़रिए कोई अपनी भाषा मे कोई डेटा इनपुट करते हैं। तो ऑपरेटिंग सिस्टम का सॉफ्टवेयर उसे मशीनी भाषा मे कन्वर्ट करके सीपीयू को भेज देता है। सीपीयू उस डेटा की प्रोसेसिंग करके रिजल्ट को पुनः हमारी भाषा मे कन्वर्ट करके आउटपुट डिवाइस के ज़रिए हमें आउटपुट दे देता है।
जब हम किसी डेटा को कंप्यूटर में स्टोर करते हैं तो कंप्यूटर उस डेटा को 0 व 1 के रूप में कन्वर्ट करके सेव कर लेता है। जब भी हमें उस डेटा की ज़रूरत पड़ती है कंप्यूटर पुनः उसे हमारी भाषा मे कन्वर्ट करके आउटपुट दे देता है। आपलोग पढ़ रहे है कंप्यूटर क्या है और types of computer के बारे में।
आधुनिक कंप्यूटर की पीढ़ियाँ (GENERATION OF COMPUTER)
पहले आधुनिक कंप्यूटर से लेकर अब तक कंप्यूटर में हुए विकास को पाँच पीढ़ियों में बाँटा जा सकता है।
पहली पीढ़ी (1946-1956)
इस पीढ़ी के कंप्यूटरो में वैक्यूम ट्यूब का इस्तेमाल किया जाता था। प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटरो की शुरुआत 1946 में (ENIAC-Electronic Numerical Integrator And Computer) नाम के कंप्यूटर से हुई थी।
इस पीढ़ी में ENIAC के साथ साथ EDSEC, EDVAC, UNIVAC , UNIVAC-1 आदि कम्प्यूटरों को निर्माण हुआ था।
पहली पीढ़ी के कंप्यूटर आकार में बहुत बड़े औऱ क़ीमत में बहुत महंगे होते थे। इनकी स्पीड और मेमोरी भी बहुत कम होती थी।
पहली पीढ़ी के कंप्यूटर के लक्षण कुछ इस तरह के हैं-
- वैक्यूम ट्यूब का इस्तेमाल
- पंचकार्ड का इस्तेमाल
- स्टोरेज के लिए मैग्नेटिक ड्रम का इस्तेमाल
- मशीनी और असेम्बली लैंग्वेज में प्रोग्रामिंग
- अधिक एयर कंडीशनरों का इस्तेमाल
दूसरी पीढ़ी (1956-1964)
इस पीढ़ी के कंप्यूटरो में वैक्यूम ट्यूब की जगह विलियम शॉकले द्वारा बनाये हुए ट्रांसिस्टर का इस्तेमाल किया जाने लगा। जिसकी वजह से इस पीढ़ी के कंप्यूटर आकार में पहले से छोटे और स्पीड में अधिक तेज़ हो गए।
इस पीढ़ी के कंप्यूटरो के लक्षण थे-
- ट्रांसिस्टर का इस्तेमाल
- आकार में छोटे और तेज़
- ऊर्जा की कम ख़पत
- COBOL और FORTRAN जैसी हाई लेवल लैंग्वेज का इस्तेमाल
- स्टोरेज डिवाइस , प्रिंटर और ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल
- पहली पीढ़ी की तुलना में अधिक सस्ते।
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तीसरी पीढ़ी (1965-1971)
इस पीढ़ी के कंप्यूटरो में IC यानी integrated circuits का इस्तेमाल किया जाने लगा। इस IC को जैक किल्बी ने बनाया था। इंटेग्रेटेड सर्किट वाले इस पीढ़ी में ICL 2903, ICL 1900, System1360 और UNIVAC 1108 आदि तरह के कंप्यूटर बनाये गये।
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों के लक्षण थे-
- आसान रख रखाव व पोर्टेबिलिटी
- पहले की पीढ़ियों के कम्प्यूटरों की तुलना में आकार व वजन में बहुत कम
- हाई लेवल लैंग्वेज बड़े स्तर पर प्रयोग।
- अधिक विश्वसनीय
चौथी पीढ़ी (1971-1985)
इस पीढ़ी में इंटेग्रेटेड सर्किट को कहीं ज्यादा डेवेलप करके उसका विकसित रूप माइक्रोप्रोसेसर बनाया। यह लगभग तीन लाख ट्रांसिस्टरों के बराबर काम करती थी। जिससे सीपीयू बहुत अधिक छोटा हो गया। इस पीढ़ी के कंप्यूटरों को विशेष तौर पर माइक्रोकंप्यूटर कहा गया।
ALTAIR 8800 इस पीढ़ी का पहला कंप्यूटर था। इसी कंप्यूटर पर बिल गेट्स ने बेसिक लैंगवेज को स्थापित किया। इसमें सफलता के बाद बिल गेट्स ने माइक्रोसॉफ्ट कंपनी की भी स्थापना किया।
इस पीढ़ी के कंप्यूटरों के लक्षण हैं-
- आकार में बहुत छोटा हो गया।
- सस्ती कीमतों में आसानी से उपलब्ध
- बहुत अधिक गति और अधिक मेमोरी क्षमता
- कंप्यूटर नेटवर्क का विकास
पाँचवी पीढ़ी (1985 से अबतक)
इस पीढ़ी में वर्तमान के सभी शक्तिशाली कंप्यूटरो और भविष्य में आने वाले कम्प्यूटरों को शामिल किया जाएगा। इस पीढ़ी के कंप्यूटरो में वैज्ञानिक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) को डालने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। इस पीढ़ी में कंप्यूटरो का आकार और वजन भी लगातार कम करने का प्रयास जारी है। What is computer and types of computer in hindi.
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My basic information:
https://indianmarketer.in
मेरे नाम Umair है। मेने engineering की है और blogging करना मेरी hobby है। अपनी सोच को शब्दों में लिखना और खुद सीखते हुए दुसरो को कुछ सिखाने का मज़ा ही कुछ और है। मेरी बाकी पोस्ट Indian-marketer ब्लॉग पर है।
CONCLUSION
What is computer and Types of Computer in hindi के बारे में आपलोग अच्छी जानकारी मिली होगी। जिससे आपलोग का बेसिक कंप्यूटर से रिलेटेड सारे इनफार्मेशन मिल गए होंगे। ऐसे ही और भी पोस्ट पढने के लिए हमें जरुर follow करे।
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